हाइपोथर्मिया क्या है ? हाइपोथर्मिया होने के लक्षण | बचने के उपाय
मानवशरीर में ज़्यादा या कम तापमानमें खुद को संतुलित करनेकी क्षमता होती है लेकिन किन्हींकारणों से जब येक्षमता घट जाती हैया बाहर के तापमान मेंअधिक बदलाव आ जाता हैतो शरीर कभी–कभी तापमान के मुताबिक खुदको ढाल नहीं पाता, जिससे हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़जाता है, जिसे आम भाषा मेंहम लोग ठंड लगना कहते हैं। इसमें हाथ – पांव बहुतठंडे हो जाते हैंऔर काम करना बंद कर देते हैंतथा पेट में असहनीय दर्द होने लगता है। हाइपोथर्मिया का खतरा सबसेज़्यादा छोटे बच्चों और बुजुर्गों कोहोता है।
खालीपेट में हाइपोथर्मिया ज़्यादा होता है मतलब यदिआप ठंड के दिनों मेंखाली पेट रहते हैं तो आपको हाइपोथर्मिया(ठंड लगने का) होने का खतरा ज़्यादाहो सकता है।
आइए जानते हैं कि कैसे पहचानेइस बीमारी को?
शरीरका तापमान यदि 95 डिग्री से कम होजाए या शरीर पर्याप्तगर्मी पैदा न कर पाएतो ऐसी स्थिति में हाइपोथर्मिया पैदा हो जाती हैयानी कि ठंड लगजाती है।
हाइपोथर्मिया होने के लक्षण
(1) पूराशरीर कांपने लगता है।
(2) हाथपैर जकड़ने लगते हैं।
(3) दिमागनियंत्रण होने लगता है।
(4) हाथपैर की उंगलियां लालहोने लगती है।
(5) फेफड़ोंमें एलर्जी हो जाती है।
(6) ब्लडप्रेशर हाई हो जाता है।
(7) सर्दीका मौसम ठंडा होता है, इसमें प्यास कम लगती हैइसलिए हम पानी कमपीते हैं जिससे शरीर में पानी की कमी होजाती है, जिसे हम डिहाइड्रेशन भीकहते हैं।
प्राथमिक उपचार
सावधानी
ठंड लगने के कारण
(1) ठंडलगने की एक बड़ीवजह शराब भी है क्योंकिशराब का सेवन करनेसे अचानक गर्मी लगने लगती है, यह हाइपोथर्मिया कीचेतावनी हो सकती है।
(3) शराबपीने से हाथ पैरकी नसें फैलती है लेकिन ऐसेमें खून का प्रवाह कमहो जाता है इसलिए हाथपैर ठंडे होने लगते हैं।
(4) लोगोंको लगता है कि शराबपीने से गर्मी लगतीहै जी नहीं यहहाइपोथर्मिया का कारण बनतीहै।