वसा क्या है? वसा के कौन-कौन से स्रोत होते हैं?
Fat/वसाका संक्षिप्त परिचय।
- Fat/ वसाक्या है?
- Fat/ वसाके प्रकार।
- Fat/ वसाके मुख्य स्त्रोत।
- Oil/ तेलक्या है?
- Fat/ वसाका शरीर में कार्य।
- Fat/ वसासे संबंधित बीमारी।
(1) वसा क्या है?
वसाग्लिसरॉल और वसा अम्लके योग से बनता हैयह हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदानकरने वाला मुख्य न्यूट्रीशन है। वसा कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन कायोगिक है किंतु वसामें ऑक्सीजन की मात्रा काफीकम होती है।
वसापानी में अघुलनशील होता है किंतु कार्बनिकघोलकों जैसे पेट्रोलियम, बेंजीन, क्लोरोफॉर्म, आदि में यह घुलनशील होताहै।
(1) संतृप्त वसा यानी सैचुरेटेड फैट
साधारणतापमान में संतृप्त वसा सदा ठोस बने रहते हैं, इन्हें पिघलाने के लिए हमेंतापमान बढा़ना पड़ता है।
उदाहरण– वनस्पतिघी, नारियल तेल।
(2) असंतृप्त वसा यानी अनसैचुरेटेड फैट
साधारणतापमान में असंतृप्त वसा सदा पिघली अवस्था में रहते हैं।
उदाहरण– सरसों का तेल, मकईका तेल, मूंगफली का तेल, तिलका तेल आदि।
वसा के प्रकार।
वसा को इसके स्रोत के आधार परदो भागों में विभाजित किया है।
(1) जंतु वसा / एनिमल फैट
जोवसा हमें जंतुओं से प्राप्त होताहै उसे जंतु – वसा कहा जाता है, जैसे– दूध, पनीर, मुर्गी का अंडा, मछलीआदि।
(2) वनस्पति वसा / वेजिटेबल फैट
जोवसा हमें वनस्पतियों से प्राप्त होताहै उस वसा कोवनस्पति वसा कहा जाता है। जैसे– तेल, अखरोट, नारियल, बादाम, मूंगफली, सरसों, तिल आदि।
वसा का कार्य / फंक्शंस ऑफ फैट
(1) वसाठोस रूप में शरीर को ऊर्जा प्रदानकरता है।
(2) वसाहमारे शरीर की त्वचा केनीचे जमा होकर शरीर के ताप कोबाहर निकलने से रोकता है।
(3) वसाहमारे खाद्य पदार्थों में स्वाद उत्पन्न करता है तथा आहारको रुचिकर बनाता है।
(4) वसाशरीर के विभिन्न अंगोंको चोटों से बचाता है।
(5) यहप्रोटीन के स्थान परशरीर को ऊर्जा प्रदानकरता है।
तेल /ऑयल क्या होता है?
वसासामान्य 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर ठोस अवस्थामें होते हैं। परंतु यदि वसा इस ताप परद्रव अवस्था में हो तो उन्हेंतेल या ऑयल कहतेहैं।
वसा के कौन–कौनसे स्रोत होते हैं?
घी, तेल, बादाम, काजू, तिल, मूंगफली, खोया, मुर्गी का अंडा, मांसइन सभी में वसा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जबकि सब्जियों, फलों आदि में वसा काफी कम मात्रा मेंया न के बराबरहोता है।
वसा की कमी / अधिकतासे शरीर पर होने वालेप्रभाव / दुष्प्रभाव
वसा की कमी सेशरीर में होने वाले प्रभाव
(1) वसाकी कमी से त्वचा रूखीहो जाती है।
(2) वसा की कमी सेवजन कम हो जाताहै / होने लगता है।
(3) वसाकी कमी से शरीर काविकास अवरुद्ध हो जाता है/ होने लगता है।
वसा की अधिकता सेशरीर में होने वाले प्रभाव।
(2) वसाकी अधिकता से हृदय संबंधीरोग, उच्च रक्तचाप जैसे रोग होने लगते हैं।
(3) वसाकी अधिकता से शरीर आलस्यसे ग्रसित हो जाता है/ होने लगता है।
इनमें से किसी भीएक का आवश्यकता सेज़्यादा या कम होनाआपके शरीर की व्यवस्था कोअसंतुलित कर सकता है।जिसके नकारात्मक प्रभाव आपको कईं प्रकार के रोगों केरूप में देखने को मिल सकतेहैं।
यदि आपके शरीर में वसा की मात्रा बहुतही ज़्यादा है तो आपकिसी अच्छे न्यूट्रीशनिस्टसे सलाह लेकर ही अपने शरीरमें जमें फैट को कम करनेकी प्रक्रिया में आगे बढ़ें।