चक्कियाँ क्या है हड़प्पाई क्षेत्र से ओमान, दिलमुन तथा मेसोपोटामिया तक कौन-से मार्गों से जाया जा सकता था ?
चक्कियाँ– हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ों के उत्खनन में पत्थर की चक्कियाँ मिली हैं। ये चक्कियाँ आटा पीसने,
मसाला पीसने में काम आती थीं। ये चक्कियाँ उपयोगी वस्तुओं की श्रेणी में आती थीं।
मृदभाण्ड– मृदभाण्ड रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले बाँट सामान्यत: चर्ट नामक पत्थर से बनाए जाते थे। ये बाँट उपयोगी वस्तुओं की श्रेणी में आते हैं।
हड़प्पाई क्षेत्र से ओमान, दिलमुन तथा मेसोपोटामिया तक कौन-से मार्गों से जाया जा सकता था?
हड़प्पाई क्षेत्र से ओमान, दिलमुन तथा मेसोपोटामिया तक समुद्री मार्ग से जाया जा सकता था। नावों तथा जहाजों से जाया जा सकता था, क्योंकि उस काल में जहाजों तथा नावों का प्रयोग होने लगा था। विदेशी व्यापार के लिए लोथल तथा सुत्कागेंडोर के बंदरगाहों का प्रयोग किया जाता था।
लोथल और सुत्कागेंडोर से अरब सागर होते हुए फारस की खाड़ी में स्थित दिलमुन बंदरगाह तक तथा वहाँ से मेसोपोटामिया तक आयात-निर्यात किया पात्र हैं, जो उपयोगी वस्तुओं की श्रेणी में आते हैं।
3. पत्थर की मुहरें या लिंग- आरम्भिक उत्खनन में प्राप्त पत्थर की मुहरें या लिंग के विषय में पुरातत्वविद मैके ने कहा है कि लाजवर्द मणि, जैस्पर, चाल्सेडनी तथा अन्य पत्थरों से बने छोटे आकार के शंकुओं के रूप में सुन्दरता से तराशे और तैयार किए गए थे।
जो दो इंच से भी कम ऊँचाई के थे, जिनको लिंग भी माना गया है। दूसरी ओर यह भी सम्भव है कि इसका प्रयोग यहीं पर खेले जाने वाले खेलों में होता था। इनको. हम दोनों श्रेणियों में रख सकते हैं।
4. पत्थरों के बाँट- खुदाई में पत्थरों के बाँट भी मिले हैं।
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